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जिले की 80 फीसदी आबादी पर फाइलेरिया का खतरा : सीएमओ

प्रयागराज, 29 जनवरी (हि.स.)। जनपद के 13 ब्लॉकों में 10 से 28 फरवरी तक फाइलेरिया से बचाव के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) अभियान चलाया जाएगा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराएंगी। दवा खिलाने के तुरंत बाद उंगली पर निशान भी बनाया जाएगा, ताकि सभी तक दवा का सेवन सुनिश्चित किया जाए। ट्रिपल ड्रग थेरेपी में आइवेर्मेक्टिन, डीईसी और एल्बेण्डाज़ोल की गोली उम्र और ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आशु पांडेय ने बताया है कि देश में 74 करोड़ भारतीयों को फाइलेरिया का खतरा है। इस नजरिए से देखें तो जनपद में 80 फीसदी आबादी पर फाइलेरिया का खतरा है। पूरी तरह से स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति भी फाइलेरिया का ए सिम्टोमैटिक मरीज हो सकता है। फाइलेरिया के लक्षण दिखने में पांच से 15 वर्ष लगते हैं। इसलिए अपने आपको फाइलेरिया से पूरी तरह सुरक्षित न समझें। साल में एक बार कम से कम तीन वर्ष तक लगातार दवा सभी लोग खाएंगे तभी फाइलेरिया से जीतना सम्भव है।

उन्होंने बताया कि इसके प्रति जन जागरुकता बढ़ाने को लेकर हम हर स्तर पर काम कर रहे हैं। इस अभियान को सफल बनाने में स्टेक होल्डर जैसे ग्राम प्रधान, कोटेदार, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा, रोजगार सेवक और समूह सखी अहम भूमिका निभाएंगे। यह अपने क्षेत्र में सामुदायिक बैठक कर लोगों को आईडीए के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सीफार संस्था के सहयोग से कौंधियारा एवं सैदाबाद ब्लॉक के सभी गांव में पेशेंट प्लेटफार्म बनाकर सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) के सम्बंध में मरीजों और क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में विभाग की ओर से 609 पर्यवेक्षक व 27 रैपिड रिस्पॉन्स टीम भी लगाई गई है।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ आनंद सिंह ने बताया कि आईडीए अभियान जनपद के 13 ब्लॉक धनुपुर, हंडिया, कोटवा, कोरांव, प्रतापपुर, रामनगर, सैदाबाद, बहरिया, होलागढ़, कौड़िहार, कौंधियारा, मेजा व सोरांव में चलेगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के तहत पिछले साल जनपद में चलाये गए ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) में 8 ब्लॉक पास हो चुके हैं। साथ ही नगर की 23 पीएचसी टास को पास करे चुके हैं। इसलिए इन क्षेत्रों में आईडीए अभियान नहीं चलेगा।

वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. परवेज अख्तर ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इनका कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है की उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे किसी भी लक्षण से घबराएं नहीं क्योंकि यह लक्षण कुछ समय बाद स्वतः ठीक हो जाते हैं। इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम के बच्चे, गम्भीर बीमारी से ग्रसित और गर्भवती को नहीं करना है।

–इसका सम्पूर्ण इलाज नहींं है

पाथ संस्था के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ.शाश्वत ने बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली एक गम्भीर संक्रामक बीमारी है। इसके प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसील में सूजन का होना है। हाइड्रोसील का सफल इलाज है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में यह बीमारी होने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। रोग से प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में अगर तीन साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से हमेशा के लिए बचा जा सकता है।

–जनपद में कुल 2,228 फाइलेरिया मरीज

फाइलेरिया इंस्पेक्टर संतोष सिंह ने बताया कि जनपद में लिम्फोडिमा के 1294 व 926 हाइड्रोसील के मरीज हैं। 758 हाइड्रोसील मरीजों की सफल सर्जरी हो चुकी है और वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। लिम्फोडिमा के मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमएमडीपी किट दी जाती है। प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम का तरीका भी सिखाया जाता है।

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