Friday , 27 December 2024

अब गरीब आदमी घर पर ही पॉपकॉर्न बनाकर खाएगा

-जीएसटी लगाने के फैसले पर, इमरान प्रतापगढ़ी की स्पीच वायरल

नई दिल्ली । जीएसटी बैठक में सरकार ने पॉपकॉर्न पर भी जीएसटी लगा दिया है जिसके बाद पूरे देश में अजीब सी हलचल मच गई है। वहीं पॉपकॉर्न पर तीन अलग-अलग श्रेणियों में जीएसटी लागू होने की खबर ने लोगों को हिला कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं व मीम्स की बाढ़ आ गई है। इसी बीच सांसद और मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी का एक भाषण तेजी से वायरल हो रहा है।
खबरों के मुताबिक पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी, 12फीसदी और 18 फीसदी तक की अलग-अलग जीएसटी दरें लागू की जा रही हैं, जो इसकी पैकेजिंग और बिक्री के स्वरूप पर निर्भर करती हैं।

इसमें अनपैक्ड पॉपकॉर्न 5 फीसदी, पैक्ड और ब्रांडेड पॉपकॉर्न पर 12 फीसदी और रेस्टोरेंट या मल्टीप्लेक्स में बेचा जाने वाला पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी लगाया गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले ने लोगों को नाराज़ कर दिया है खासकर जो सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न को पहले ही महंगा मानते थे। अब तो 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया है।

इमरान प्रतापगढ़ी की स्पीच में उन्होंने मजाकिया और व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि अब गरीब आदमी घर पर पॉपकॉर्न बनाकर खाएगा या उसे सोचना पड़ेगा कि जीएसटी के चक्कर में भूखा ही रह ले। उन्होंने इस मुद्दे को आम आदमी के संघर्षों से जोड़ते हुए कहा कि जब पॉपकॉर्न पर भी टैक्स लगाया जा रहा है, तो आने वाले दिनों में सांस लेने पर भी टैक्स लगाने का समय दूर नहीं है।

केंद्र सरकार के इस फैसल से सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है। इस खबर के साथ-साथ प्रतापगढ़ी की स्पीच पर बनाए गए मीम्स भी खूब ध्यान खींच रह हैं। सिने प्रेमियों की शिकायत है कि पॉपकॉर्न पहले ही महंगा था, अब नए टैक्स ने इसे और मुश्किल बना दिया है।
वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि यह फैसला राजस्व बढ़ाने और समान कर नीति तय करने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, आम जनता इसे लेकर नाराज़ है। यह विवाद अब केवल पॉपकॉर्न तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह आम आदमी पर बढ़ते कर बोझ का प्रतीक बन गया है। इमरान प्रतापगढ़ी की वायरल स्पीच ने इस मुद्दे को और भी चर्चा में ला दिया है। लोग केंद्र सरकार के इस फैसले का गलत बता रहे हैं और कह रहे हैं कि पहले ही महंगाई ने उनके घर का खर्च बिगाड़ रखा है और अब बच्चों के मुंह से पॉपकॉर्न भी छीना जा रहा है। सरकार महंगाई के साथ साथ इस पर भी विचार करें।

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