गाज़ियाबाद, 28 जनवरी (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट सुवर्णा राज ने रविवार को कहा कि ज़िंदगी हर दिन एक नई चुनौती का नाम है। इस चुनौती को स्वीकार करने वाले अपनी मंजिल खुद तय करते हैं। जब तक उन्होंने स्वयं को साबित नहीं किया तब तक उनके मां-बाप परिवार की तीसरी लड़की और वह भी विकलांग होने पर अफसोस जताया करते थे लेकिन आज वह गर्व से कहते हैं कि सुवर्णा उनकी बेटी है।
वह सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के वार्षिक समारोह ”क्लाइडोस्कोप” में बतौर मुख्य मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि शारीरिक अक्षमता उनकी राह का रोड़ा कभी नहीं रही। जिसका सुबूत है उनके द्वारा पैरा ओलंपिक व एशियन गेम्स में सक्षम खिलाड़ियों के मुकाबले कहीं अधिक जीते गए मैडल। उन्होंने कहा कि आज देश में शिक्षकों का सम्मान कम हो रहा है। उन्होंने बच्चों का आह्वान करते हुए कहा कि संघर्ष पर विजय का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षकों का सम्मान करने वाले ही जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि महापौर सुनीता दयाल ने कहा कि उनकी बेटी की शिक्षा की आधारशिला भी इसी स्कूल में रखी गई थी, लिहाजा एक मां के तौर पर भी इस बात को बेहतर तरीके से जानती हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की क्या महत्ता है।