कोटपूतली, । राजस्थान के कोटपूतली के किरतपुरा गांव की बड़ियाली की ढाणी में 5 दिन से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में मासूम चेतना (3) को बचाने का प्रयास अभी भी अधूरा है। टीम ने पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पैरलल करीब 170 फीट गहरा गड्ढा तो खोद लिया है लेकिन चेतना तक पहुंचने का काम अब भी लंबित है। रेस्क्यू ऑपरेशन में इस्तेमाल की जा रही आधुनिक तकनीकों के बावजूद अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। बारिश के कारण भी बचाव कार्य बार-बार बाधित हो रहा है।
चेतना 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ के जरिए उसे केवल 30 फीट ऊपर लाया जा सका था लेकिन पिछले तीन दिनों से वह 120 फीट की गहराई में फंसी हुई है। करीब 96 घंटे से भूखी-प्यासी चेतना की हालत को लेकर अधिकारी कुछ भी स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे एनडीआरएफ इंचार्ज योगेश कुमार मीणा ने बताया कि बारिश की वजह से ऑपरेशन बार-बार बाधित हो रहा है। अब 170 फीट गहरे गड्ढे में पाइप वेल्डिंग का काम पूरा कर रैट माइनर्स को उतारने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि 100 टन क्षमता की हाइड्रा मशीन मंगवाई गई है। क्योंकि, पहले वाली मशीन वजन सहन नहीं कर पा रही थी। वेल्डिंग और फार्मा केसिंग के बाद मैन्युअल टनल बनाने का काम शुरू होगा लेकिन यह प्रक्रिया जोखिम भरा और समय लेने वाली है।
कोटपूतली-बहरोड़ की जिलाधिकारी कल्पना अग्रवाल ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में बारिश और गहराई में पत्थर की परत से लगातार मुश्किलें आ रही हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बच्ची को जल्द से जल्द बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि नई मशीनों के जरिए गड्ढे की खुदाई के बाद रैट माइनर्स को पाइप के जरिए नीचे उतारा जाएगा। वे 20 फीट की सुरंग खोदकर चेतना तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। हालांकि, यह काम काफी जोखिम और सटीकता का है, जिसमें समय लग सकता है।
उधर, रेस्क्यू में देरी को लेकर प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों में नाराजगी बढ़ रही है। चेतना की मां बेहोशी की हालत में है। परिवार के अन्य सदस्यों का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेशभर में खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बीते गुरुवार को सड़क सुरक्षा की समीक्षा बैठक में बोरवेल हादसों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि 14 साल पहले जारी की गई गाइडलाइन को लागू करने में अधिकारियों ने लापरवाही बरती।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 01 फरवरी, 2010 को बोरवेल में गिरने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद लापरवाही के चलते ऐसे हादसे बदस्तूर जारी हैं। दौसा में इसी महीने 9 दिसंबर को आर्यन नामक बच्चे की बोरवेल में गिरने से मौत हो गई थी।