लखनऊ, 14 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने अमृत 2.0 कार्यक्रम को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने पर बल दिया है। उन्होंने बताया कि अमृत 2.0 कार्यक्रम द्वारा प्रदेश में 43 लाख से अधिक घरों को पेयजल कनेक्शन और पांच लाख घरों को सीवर हाउस कनेक्शन दिया जायेगा। मुख्य सचिव ने टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक प्रयोग, पेयजल, सीवरेज प्रबन्धन, री-यूज्ड और यूज्ड वाटर पर जोर दिया।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र बुधवार को अमृत 2.0 वाटर कॉन्क्लेव को दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। दो दिवसीय वॉटर कॉनक्लेव का आयोजन नगर विकास विभाग एवं उप्र जल निगम (नगरीय) के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने अमृत 2.0 कार्यक्रम की व्यापकता की ओर कार्यशाला के प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित करते हुए हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने और अमृत 2.0 कार्यक्रम को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने पर बल दिया। उन्होंने शहरों को स्वच्छ बनाने, वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने, अमृत योजना के अन्तर्गत सरोवरों का जीर्णाेद्धार, वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक जल स्रोतों का बेहतर रख-रखाव आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर अपने दूरगामी विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने का संकल्प लिया है, इसमें आपका महत्वपूर्ण योगदान होगा।
आगामी दो वर्षों में रामनगरी अयोध्या में नगरवासियों को मिलेगी 24×7 जलापूर्ति की सुविधा
इस दौरान मुख्य सचिव ने नगर विकास विभाग से अमृत 2.0 कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में परियोजनाएं तैयार कर स्वीकृति उपरान्त उनका तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने की अपेक्षा की। उन्होंने बताया कि उड़ीसा के पुरी शहर में क्रियान्वित 24×7 जलापूर्ति के सफल मॉडल पर आधारित रामनगरी अयोध्या में 24×7 जलापूर्ति की परियोजना का क्रियान्वयन प्रगति पर है, आगामी दो वर्षों में अयोध्या नगरवासियों को यह सुविधा उपलब्ध होगी।
गौरतलब है कि राजधानी में आयोजित दो दिवसीय वॉटर कॉनक्लेव का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ पेयजल आपूर्ति एवं जलोत्सारण के क्षेत्र में विभिन्न तकनीकि प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों पर चर्चा करना था। इस कॉनक्लेव के दौरान जल शोधन व जल उत्सर्जन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन के विभिन्न आयामों एवं पहलुओं के विषय में गहन विचार-विमर्श किया गया। इसके आयोजन में यूएसएआईडी एवं केपीएमजी द्वारा सहयोग प्रदान किया गया।
कॉन्क्लेव में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए हुए लगभग 350 की संख्या में मुख्य अभियन्ता, अधीक्षण अभियन्ता, अधिशासी अभियन्ता, सहायक अभियन्ता एवं जूनियर इंजीनियर व विभिन्न नगर निगमों, नगर निकायों एवं जल-कल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
अब तक प्रदेश में दिए जा चुके हैं 10 लाख से अधिक घरों में नल कनेक्शन
कॉनक्लेव के दौरान बताया गया कि अमृत 2.0 के अन्तर्गत प्रदेश में 10 लाख से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं। साथ ही 166 अमृत सरोवरों का पुनर्रूद्धार की परियोजनायें शासन द्वारा स्वीकृत की जा चुकी हैं।
दो दिवसीय कार्यशाला में 24×7 जलापूर्ति प्रणाली ‘ड्रिंक फ्रॉम टैप’, जल शोधन की उन्नत प्रौद्योगिकियों, नॉन रेवेन्यू वॉटर, पीपीपी, मुनिसिपल बाँड, स्मार्ट जल प्रबंधन व जन भागिदारी जैसे क्षेत्रों व विषयों के संबंध में विशेषज्ञों द्वारा अपने बहुमूल्य विचार एवं अनुभवों को साझा किया गया।
कॉनक्लेव में प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न कंपनियों ने उन्नत टेक्नोलॉजी एवं सॉल्यूशन्स का प्रदर्शन किया। कॉनक्लेव के प्रथम दिन अपर सचिव, भारत सरकार डी. थारा द्वारा वर्चुअली, यूएसएआईडी के प्रतिनिधि डाॅ. ब्रायन, केपीएमजी के प्रतिनिधि नीलान्चल मिश्रा, सीपीएचईईओ के सलाहकार डाॅ. दीनादयालन द्वारा प्रस्तुतिकरण देते हुये अपने विचार व्यक्त किये गये। साथ ही भारत के ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद् एवं लेकमैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावड ने प्राकृतिक विलुप्त प्रायः जल श्रोतों, नदियों, सरोवरों एवं झीलों को पुनर्जीवित कर उनको मूल स्वरूप के संबंध में अपना अनुभव साझा किया।
दो दिन के इस आयोजन में प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात, सचिव नगर विकास अजय कुमार शुक्ला, प्रबन्ध निदेशक, उप्र जल निगम (नगरीय) राकेश कुमार मिश्रा, विशेष सचिव नगर विकास एवं संयुक्त प्रबन्ध निदेशक उप्र जल निगम (नगरीय) अमित कुमार सिंह ने भी कार्यशाला में अपने विचार साझा किए।