मिडिल क्लास परिवार के लिए एक कार खरीदना सपना होता है। वहीं परिवारों को बड़ी कार जैसे Fortuner खरीदने का सपना पूरा करना और भी मुश्किल होता है। दरअसल, भारतीय बाजार में गाड़ियों की कीमत इतनी ज्यादा है कि सामान्य व्यक्ति को उन्हें खरीदना मुश्किल होता है।
अब गाड़ियां इतनी महंगी क्यों होती हैं? आपको बता दें कि एक कार बिकने पर तीन लोग लाभ उठाते हैं। पहली कार बनाने वाली कंपनी, दूसरा डीलर और तीसरा सरकार को मुनाफा मिलता है। सरकार को इससे सबसे अधिक मुनाफा मिलता है, इसलिए गाड़ियां इतनी महंगी हैं। अब पूरा गणित बताते हैं।
फॉर्च्यूनर से पूरा गणित समझिए?
वर्तमान दिल्ली में फॉर्च्यूनर की कीमत उसके वेरिएंट के हिसाब से 38 से 60 लाख रुपये है। टैक्सेशन विथ सीए साहिल जैन नामक चैनल पर आप अब सरकार, कंपनी और डीलर को कितना लाभ मिलता है अगर एक फॉर्च्यूनर एक शोरूम से बेचा जाता है।
यहां, हम तीनों का लाभ उन्हीं रिपोर्ट पर बताते हैं। इन्हें लगता है कि एक फॉर्च्यूनर बेचने पर कंपनी को सिर्फ 35 से 40 हजार रुपये का लाभ मिलता है। वहीं, डीलर एक फॉर्च्यूनर बेचकर लगभग एक लाख रुपये कमाता है।
सरकार, दूसरी ओर, एक फॉर्च्यूनर को बेचने पर लगभग 18 लाख रुपये का लाभ उठाता है। हालाँकि, गाड़ी खरीदते समय होने वाले अन्य कागजी कार्यों के लिए टैक्स भी चार्ज किया जाता है। इसका कारण यह है कि अंततः अधिक धन सरकार के खाते में जाता है।
सरकार इतना मुनाफा कैसे बनाती है?
जीएसटी गाड़ी बेचने से सरकार को सबसे अधिक पैसा मिलता है। अब सरकार को लगभग 43% जीएसटी मिलता है, जैसे शीर्ष मॉडल फॉर्च्यूनर की बिक्री। इंडियन ऑटो ब्लॉग्स के अनुसार, फॉर्च्यूनर के सर्वश्रेष्ठ मॉडल पर 28 प्रतिशत और 15 प्रतिशत जीएसटी लागत लगती है।
इसके अलावा, ग्राहकों को लॉजिस्टिक्स, फास्टैग, ग्रीन सेस, टीसीएस, बीमा, एक्सटेंडेड वारंटी, रजिस्ट्रेशन और अन्य सेवाओं के लिए भुगतान करना पड़ता है, जो सीधे सरकारी खाते में जाते हैं।