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एफपीओ की महत्ता,कृषकों को योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता

मीरजापुर, 21 फरवरी (हि.स.)। आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजनांतर्गत मण्डलायुक्त विंध्याचल मंडल डॉ. मुथुकुमार स्वामी बी. की अध्यक्षता में बुधवार को आयुक्त सभागार में कृषक उत्पादक की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए मण्डल व जनपद स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मंडलायुक्त ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एफपीओ की महत्ता एवं कृषकों की आय में वृद्धि के लिए लघु एवं सीमान्त कृषकों एवं अन्य छोटे उत्पादकों को एक मंच पर लाकर व्यवसाय के रूप में स्थापित करने के बारे में विस्तार से चर्चा की। मंडल के तीनों जनपदों मेें विशेषकर सोनभद्र एवं मीरजापुर में कम वर्षा होने एवं भूगर्भ जल स्तर में कमी के दृष्टिगत कृषकों को कम पानी वाली फसलों के चयन की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कृषकों को परम्परागत खेती के स्थान पर कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलेट्स (मोटा अनाज) की खेती को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। गौ-आधारित प्राकृतिक खेती तथा मिलेट्स (मोटा अनाज) की पैकेजिंग, ग्रेडिंग, मार्केटिंग आदि पर योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

वैज्ञानिक विधि से खेती कराकर कृषकों को खुद के पैरों पर खड़ा करना है उद्देश्य

वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान, वाराणसी ने कहा कि एफपीओ का मुख्य उद्देश्य छोटे कृषकों के सामाजिक स्तर को उठाना है। इसके लिए ग्रामीण स्तर पर लघु एवं सीमान्त कृषकों के छोटे-छोटे कलस्टर बनाकर समसामयिक मांग के अनुसार वैज्ञानिक विधि से खेती कराकर कृषकों को खुद के पैरों पर खड़ा करना है।

मंडल में 143 एफपीओ का गठन

संयुक्त कृषि निदेशक विंध्याचल मण्डल ने बताया कि वर्तमान समय में जनपद मीरजापुर में 80, सोनभद्र में 26 एवं भदोही में 37 एफपीओ का गठन विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से किया जा चुका है। एफपीओ की मुख्य चुनौतियों को देखते हुए विभिन्न विषयों के अलग-अलग विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को इस कार्यशाला में बुलाया गया है। इस अवसर का लाभ उठाकर एफपीओ अपनी आय के साथ ही कृषकों की आय में वृद्धि का मुख्य श्रोत बन सकते हैं।

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