दीपावली हो या भारत में किसी की शादी, मजा नहीं आता अगर आतिशबाजी नहीं होती। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पटाखों में भरा काला बारूद जब आसमान में फटता है तो रंग कहां से आते हैं? ये एक आम सवाल है, लेकिन बचपन से आज तक शायद ही किसी ने सोचा होगा।
यदि आप इसे अब जानना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए है। हमने इसमें वैज्ञानिक आधार पर बताया है कि जब एक रॉकेट आसमान में फटता है तो उसके अंदर से विभिन्न रंगों की रौशनी निकलती है। विज्ञान कैसे काम करता है? सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख में मिलेगा।
कैसे फटता है रॉकेट
हम सब जानते हैं कि बारूद काला होता है और रॉकेट में भरा होता है। आपको पता होगा कि पटाखों में आग लगाने पर बारूद विस्फोट करता है, जिससे पटाखे आसमान में फटते हैं। पर यहाँ एक पेंच है। जैसे बम तुरंत फट जाता है। वहीं, एक रॉकेट को जलाने से पहले वह आसमान में उड़ जाता है और फिर वहीं फट जाता है।
इसके पीछे विज्ञान है। आतिशबाजी वाले पटाखों में दरअसल दो भाग होते हैं। पहले वाले यानी नीचे वाले हिस्से में बारूद और ऊपर के हिस्से में स्टार पैलेट्स हैं। लिफ्ट चार्ज एक प्रक्रिया है जिसमें पटाखे बारूद से हवा में उड़ाए जाते हैं। थोड़े समय बाद, विस्फोट की आग स्टार पैलेट्स से भरे क्षेत्र में पहुंचती है और यही पदार्थ आसमान में जाकर तेज शोर के साथ रंग बिखेरता है जब वह फटता है।
ये रंग वाले स्टार पैलेट्स बनते कैसे हैं?
रॉकेट फटने के बाद उसमें से अलग-अलग रंग स्टार पैलेट्स की वजह से निकलते हैं। रॉकेट के ऊपरी हिस्से में इनका आकार छोटी छोटी गोलियों की तरह होता है। इन्हें बनाने में मेटल सामग्री का उपयोग किया जाता है। ये एक विशिष्ट प्रकार का नमक है। ये रसायन शास्त्र में एक विशिष्ट कंपाउंड है जो जलने पर रंग बनाता है। रॉकेट में विभिन्न रंगों के स्टार पैलेट्स लगाए जाते हैं।
उदाहरण के लिए, स्ट्रोनियम आसमान को लाल रंग देता है, जबकि बेरियम का कंपाउंड पटाखे को हरा करता है। वहीं आपने कई बार देखा होगा कि एक रॉकेट से कई अलग-अलग रंग की आतिशबाजी निकलती है। स्टार पैलेट्स में एक कंपाउंड के ऊपर एक दूसरे कंपाउंड की लेयर होती है।