Sunday , 24 November 2024

केंद्रीय सूचना आयोग का चुनाव आयोग को नोटिस, जानें पूरा मामला

ईवीएम-वीवीपैट से जुड़े आरटीआई आवेदन पर जवाब नहीं दिया था; सूचना आयुक्त बोले- ये कानून का उल्लंघन

नई दिल्ली । केंद्रीय सूचना आयोग ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। केंद्रीय सूचना आयोग ने चुनाव आयोग पर कानून के उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए जवाब मांगा है। दरअसल, देश के कुछ एमिनेंट पर्सनैलिटीज ने एक आरटीआई लगाई थी, जिसमें चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया था। आयोग ने 30 दिन बीत जाने के बाद भी इस आरटीआई का जवाब नहीं दिया, सीनियर अधिकारियों ने पहली अपील भी नहीं सुनी, जिस पर केंद्रीय सूचना आयोग ने नाराजगी जाहिर की।

पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी एमजी देवसहायम ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों ईवीएम, वीवीपैट और वोट-काउंटिंग प्रोसेस की विश्वसनीयता पर को लेकर एक याचिका दायर की थी। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत चुनाव आयोग के पास आवेदन कर उस पर की गई कार्रवाई का विवरण मांगा। अभ्यावेदन 2 मई 2022 को चुनाव आयोग को भेजा गया था। 22 नवंबर 2022 को दायर आरटीआई के जरिए देवसहायम उन व्यक्तियों और पब्लिक ट्रिब्यूनल्स के बारे में जानना चाहते थे जिन्हें इस मुद्दे पर आयोजित किसी भी बैठक का विवरण और सभी फाइल भेजी गई थी।

जितने जिम्मेदार वे सभी जवाब दें
देवसहायम ने पोल पैनल से जवाब न मिलने पर दूसरी अपील में केंद्रीय सूचना आयोग से की। मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने पूछताछ की, तो चुनाव आयोग के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी इस बात पर जवाब नहीं दे सके कि देवसहायम को कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि चूक के लिए अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, तो केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी उन्हें आदेश की कॉपी देगा और ऐसे लोगों की लिखित दलीलें केंद्रीय सूचना आयोग को भेजी जाएं। सामरिया ने चुनाव आयोग को 30 दिनों के भीतर आरटीआई आवेदन पर जवाब देने का भी निर्देश दिया है।

इन लोगों ने दायर किया था आरटीआई आवेदन
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय प्रबंधन संस्थानों के प्रोफेसरों समेत मशहूर तकनीकी प्रोफेशनल्स, शिक्षाविदों, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों, पूर्व सिविल सेवकों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए थे। चुनाव आयोग को 2 मई 2022 को लिखे पत्र में इन लोगों ने लिखा था कि इस ज्ञापन के जरिए हम चुनाव आयोग के सामने कुछ बातें रखना चाहते हैं जिनका चुनावी लोकतंत्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर असर पड़ता है। हम चुनाव आयोग से प्रत्येक के लिए तत्काल प्रतिक्रिया की उम्मीद करेंगे।

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