छोटे बच्चों (Children) से लेकर बुजुर्गों (Elderly) तक, जब भी कोई व्यक्ति छींकता है, तो उसकी आंखें अनायास ही बंद हो जाती हैं। यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया (Physical Process) है, जिसे समझने के लिए हमें छींक की प्रक्रिया (Sneezing Process) और उसके पीछे के विज्ञान को जानना होगा।
छींकने की प्रक्रिया और उसके पीछे का विज्ञान (Science Behind Sneezing) हमें बताता है कि यह न केवल हमारे शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, बल्कि यह हमारे शरीर की रक्षात्मक क्रिया (Defensive Mechanism) का भी हिस्सा है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारा शरीर कितनी सूक्ष्मता से काम करता है और किस तरह से यह विभिन्न स्थितियों में खुद को संरक्षित (Protect) करता है।
शरीर की रक्षात्मक प्रतिक्रिया छींक
छींकने की प्रक्रिया को शरीर की एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया (Defensive Reaction) माना जाता है। जब नाक (Nose) में कोई बैक्टीरिया (Bacteria), वायरस (Virus) या बाहरी तत्व (Foreign Object) प्रवेश करता है, तो छींक आने से यह बाहर निकलता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शरीर खुद को संक्रमण (Infection) से बचाता है।
छींकते समय आंखों का बंद होना
छींकते समय आंखों का बंद होना एक स्वाभाविक एक्शन (Natural Action) है। जब हम छींकते हैं, तो मुंह से निकलने वाले बैक्टीरिया और वायरस के आंखों (Eyes) में घुसने की संभावना होती है, जिसे रोकने के लिए हमारी आंखें बंद हो जाती हैं। हालांकि, यह भी माना जाता है कि अगर कोई छींकते समय आंख खोलने की कोशिश करे तो उसकी आंखों पर दबाव (Pressure) पड़ सकता है।
ट्राइजेमिनल नस की भूमिका
छींक आने पर ट्राइजेमिनल नस (Trigeminal Nerve), जो चेहरे, आंख, मुंह, नाक और जबड़े को नियंत्रित (Control) करती है, भी सक्रिय होती है। छींक आने पर, दिमाग (Brain) हर तरह के अवरोध को हटाने का निर्देश देता है, जिसके चलते आंखें बंद हो जाती हैं।
छींकने की आवाज का कारण
जब कोई व्यक्ति छींकता है, तो इस प्रक्रिया में लंग्स (Lungs) से हवा तेजी से बाहर निकलती है, जिससे एक विशेष आवाज (Sound) पैदा होती है। जितनी अधिक हवा होगी, उतनी ही तेज आवाज आएगी।