भारतीय परिवारों में संपत्ति बंटवारे के समय अक्सर विवाद (Disputes) की स्थिति देखने को मिलती है, खासकर जब संपत्ति के मालिक का निधन (Demise) हो जाता है। इस तरह के विवाद से बचने का एक मात्र उपाय है वसीयत (Will)। वसीयत एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है।
जिसके माध्यम से संपत्ति के मालिक अपनी संपत्ति का अधिकार अपने वारिसों को सौंपते हैं। संपत्ति विवाद से बचने के लिए वसीयत का होना अत्यंत महत्वपूर्ण (Crucial) है। यह न केवल परिवार के आपसी संबंधों को मजबूत रखता है।
बल्कि संपत्ति के उचित और न्यायसंगत बंटवारे (Fair Distribution) में भी मदद करता है। इसलिए, हर संपत्ति के मालिक को अपनी वसीयत बनानी चाहिए और इसे समय-समय पर अपडेट (Update) भी करते रहना चाहिए।
वसीयत का महत्व
वसीयत बनाना इसलिए महत्वपूर्ण (Important) होता है क्योंकि इससे संपत्ति के बंटवारे को लेकर उत्पन्न होने वाले विवादों को कम किया जा सकता है। वसीयत में स्पष्ट निर्देश होते हैं कि संपत्ति का कौन सा हिस्सा किसे मिलेगा, जिससे परिवार के आपसी संबंध (Relations) मजबूत बने रहते हैं।
वसीयत कैसे बनाएं
वसीयत बनाते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि संपत्ति के मालिक को अपनी सभी संपत्तियों (Properties) की सूची बनानी चाहिए और उन पर किसी प्रकार की देनदारी (Liabilities) का भी उल्लेख करना चाहिए। वसीयत बनाते समय दो गवाहों (Witnesses) का होना अनिवार्य है और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गवाह संपत्ति में लाभ नहीं ले रहे हों।
कानूनी सहायता की आवश्यकता
वसीयत बनाते समय कानूनी उलझनों (Legal Complications) से बचने के लिए किसी वकील (Lawyer) की मदद लेना उचित होता है। एक वकील न केवल सही प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करता है बल्कि वसीयत में किसी भी प्रकार की गलती से बचाता है।