दुनिया भर के सभी लोगों को विदेश यात्रा करने के लिए दो चीजों की बहुत जरूरत होती है, चाहे वह अमेरिका, जर्मनी या भारत हो। पहले पासपोर्ट, फिर वीजा। पासपोर्ट के बिना प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या आम आदमी भी किसी देश की यात्रा नहीं कर सकते। लेकिन दुनिया में तीन लोग ऐसे हैं जो किसी भी देश की यात्रा करने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं है।
दूसरे शब्दों में, बिना पासपोर्ट और वीजा के दुनिया के किसी भी देश की यात्रा कर सकते हैं तीन लोग हैं। यही नहीं, ये तीन विशिष्ट लोग किसी देश में पूरे सम्मान से स्वागत किए जाते हैं।पासपोर्ट सेवा शुरू हुए 103 वर्ष हो चुके हैं।
20वीं सदी की शुरुआत में ये माना गया था कि चोरी चुपके दूसरे देशों में घुसने वालों पर नियंत्रण नहीं होगा तो कई समस्याएं होंगी। 1920 में स्थिति बदल गई। लीग ऑफ नेशंस ने ऐसे उपायों पर गंभीरता से विचार किया, जिनसे अवैध आप्रवासियों को रोका जा सकता है।
पासपोर्ट जैसे प्रणाली का विचार फिर आया। अमेरिका इस व् यवस् था की पहल कर रहा था क्योंकि वह अवैध अप्रवासियों से सबसे अधिक परेशान था। शुरुआत में पासपोर्ट में आज की तरह सुरक्षा सुविधाएं नहीं थीं। यही कारण था कि जाली पासपोर्ट बनाना आसान था।
पासपोर्ट सिस्टम की शुरुआत कैसे, कब और क्यों हुई
1924 में अमेरिका ने अपनी नई पासपोर्ट व्यवस्था शुरू की। तब कोई समझौता नहीं हुआ कि किसी व्यक्ति को दुनिया भर में यात्रा करते समय पहचान का मजबूत दस्तावेज होना चाहिए था। पहले विश्वयुद्ध के दौरान, लोग अपने देश की सुरक्षा के लिए अवैध रूप से दूसरे देशों में घुस रहे थे।
इसलिए, हर देश ने समझा कि पासपोर्ट की आवश्यकता है। फिर हर देश ने पासपोर्ट कानून लागू कर दिया। पासपोर्ट अब विदेश यात्रा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का आधिकारिक पहचान पत्र बन गया है। उसका नाम, पता, उम्र, चित्र, नागरिकता और हस्ताक्षर इसमें हैं। अब हर देश ई-पासपोर्ट देने लगा है।
बिना पासपोर्ट विदेश यात्रा करने वाले खास व्यक्ति
ब्रिटेन के किंग और जापान के राजा-रानी दुनिया के किसी भी देश में बिना पासपोर्ट यात्रा कर सकते हैं। क् वीन एलिजाबेथ ने चार्ल्स के राजा बनने से पहले ये अधिकार प्राप्त किए थे। विदेश मंत्रालय ने सभी देशों को बताया कि चार्ल्स अब ब्रिटेन का किंग है।
उन्हें पूरे सम्मान से कहीं भी जाना-पीटना चाहिए। इसमें कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। यही नहीं, उनके प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाए। अब प्रश्न उठता है कि क्या किंग की पत्नी को भी ये अधिकार मिलते हैं?
क्या किंग की पत्नी को भी विशेषाधिकार मिले हैं?
ब्रिटेन के किंग को बिना वीजा और पासपोर्ट के किसी भी देश की यात्रा करने का विशेषाधिकार है, लेकिन उनकी पत्नी इससे वंचित रहती हैं। अंतरराष्ट्रीय यात्रा करते समय उन्हें डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेना पड़ता है। रॉयल फैमिली के सभी सदस्यों को भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेकर विदेश जाना होगा।
डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले लोगों को भी अलग तरह से सम्मान दिया जाता है। विभिन्न देशों के एयरपोर्ट पर उनके लिए अलग-अलग दरें लागू होती हैं। क्वीन एलिजाबेथ के पति प्रिंस फिलिपर को भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखना था। याद रखें कि ब्रिटेन में क्वीन जो राजसिंहासन पर बैठती हैं, उनके पति को प्रिंस कहा जाता है।
जापान के सम्राट और सम्राज्ञी को अधिकार क्यों प्राप्त हैं?
जापान के डिप्लोमेटिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, 1971 से जापान के विदेश मंत्रालय ने सम्राटों और सम्राज्ञियों को बिना पासपोर्ट के किसी भी देश की यात्रा की अनुमति दी। जापान भी इस बारे में विश्व भर के सभी देशों को एक आधिकारिक पत्र भेजता है।
जापान के सम्राट और साम्राज्ञी को ये पत्र लेकर विदेश जाना होगा। इसी पत्र के आधार पर वे विदेश जा सकते हैं। यह पत्र उनका पासपोर्ट है। संबंधित देश को पहले ही विदेश यात्रा की जानकारी जापान का विदेश मंत्रालय और ब्रिटेन में किंग का सचिवालय भेजी जाती है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए खास पासपोर्ट
दुनिया भर के सभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को विशिष्ट डिप्लोमेटिक पासपोर्ट मिलते हैं। उन्हें अधिकांश मेजबान देशों में आप्रवासन विभाग के अधिकारियों के सामने खुद पेश नहीं होना पड़ता। वे भी सुरक्षा जांचों से बचते हैं। भारत में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति इन पदों पर आते हैं।
भारत ने आम लोगों को नीले रंग का पासपोर्ट जारी किया है। सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों का आधिकारिक पासपोर्ट मैरून रंग का होता है। देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति इसमें शामिल हैं।