कानपुर, 21 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ का बाहरी लोगों पर दांव लगाना उनके लिए भारी पड़ गया। अण्डर-23 की टीम को छोड़कर कोई भी टीम चैम्पियन बनने की ओर अपने पांव नहीं बढा सकी। यह पहली बार नहीं था जब पूर्व चैंपियन उत्तर प्रदेश ने घरेलू क्रिकेट में खराब प्रदर्शन किया। पिछले कई वर्षों में कुछ अवसरों को छोड़कर ऐसे प्रदर्शन संघ की टीम के लिए एक नियमित बात सी हो गई है।
जैसे कि कोविड के बाद के सीजन में जब उत्तर प्रदेश दिल्ली में विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा लेकिन मुंबई से हार गया। इस बार अक्टूबर में नए घरेलू सीजन की शुरुआत से बहुत पहले, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने कई रणनीतियां अपनाईं, जिसमें टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाजी ऑलराउंडर सुनील जोशी को मुख्य कोच के रूप में फिर से नियुक्त करना, दिल्ली के खिलाडी नितीश राणा को नियुक्त करना शामिल था।
नितीश राणा को सभी प्रारूपों में कप्तान बनाया गया और यहां तक कि दिल्ली के पूर्व कप्तान करण शर्मा सहित कई बाहरी लोगों को भी इस योजना का हिस्सा बनने की अनुमति दी गई। हालाँकि सीज़न के लगभग चार महीनों के बाद वे कुछ भी हासिल करने में बुरी तरह विफल रहे। राणा और उनकी टीम को सैय्यद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी के सीज़न के ओपनर के क्वार्टर फाइनल में पंजाब से पांच विकेट से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे छह लीग मैचों में से चार जीतने के बावजूद विजय हजारे ट्रॉफी के ग्रुप डी में तीसरे स्थान पर रहे। सीजन के अंत तक उन्होंने खराब प्रदर्शन करते हुए प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी में छठा स्थान हासिल किया।
दिल्ली के एक और खिलाड़ी करण शर्मा टी20 ट्रॉफी में बुरी तरह फ्लॉप रहे, उन्होंने सात मैचों में 8.66 की औसत से सिर्फ 52 रन बनाए। अगर खराब मौसम ने कुछ मैचों में उत्तर प्रदेश का खेल बिगाड़ा, तो टीम इंडिया से बाहर किए गए तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को पांच रणजी ट्रॉफी मैचों में ‘आराम’ देने का टीम प्रबंधन का फैसला खराब था। कुछ ने इसे कुमार का निजी कारण बताया लेकिन सूत्रों ने टीम प्रबंधन कुमार को रेड बॉल क्रिकेट से आराम करवाने और बाहरी गेंदबाजों को टीम में खिलाने पर अमल किया था जो टीम को नुकसान पहुंचा गया।
यूपीसीए प्रबन्धन को अपने ही प्रदेश के खिलाड़ी, जैसे रिंकू सिंह, समीर रिज़वी, अभिषेक गोस्वामी, मोहसिन खान, स्वास्तिक चिकारा, ध्रुव चंद जुरेल, प्रियम गर्ग, कार्तिक त्यागी, शिवा सिंह, यश दयाल, सौरभ कुमार आकिब खान और अंकित राजपूत का बाहरी लोगों से सामन्जस्य न बैठ पाना भी इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ अब प्रदेश के खिलाड़ियों पर भरोसा जताए तो बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।