मेरठ, 08 फरवरी (हि.स.)। अब लोगों को आसानी से प्रागैतिहासिक काल से अब तक मेरठ के इतिहास का पता चल सकेगा। गुरुवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में कलमपुत्र पत्रिका के महाविशेषांक ’प्रागैतिहासिक काल से अब तक मेरठ का इतिहास’ का विमोचन किया गया।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के अटल सभागार में गुरुवार शाम को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर, कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल आदि ने कमलपुत्र पत्रिका के महाविशेषांक का विमोचन किया। विशेषांक के प्रकाशन पर इसके सम्पादक व लेखक चरण सिंह स्वामी को शुभकामनाएँ देते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह महाविशेषांक मेरठ के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. विघ्नेश कुमार, डॉ. केके शर्मा, प्रो. केडी शर्मा ने मेरठ जनपद की ऐतिहासिकता का परिचय कराया। 366 पृष्ठीय इस महाविशेषांक ‘प्रागैतिहासिक काल से अब तक मेरठ का इतिहास’ में प्रागैतिहासिक काल से लेकर रामायणकालीन इतिहास, महाभारतकालीन, बौद्धकालीन, राजपूतकालीन, मुगलकालीन, ब्रिटिश शासन से लेकर भारत की आजादी तक के इतिहास के साथ-साथ मेरठ का कला एवं सांस्कृतिक इतिहास, साहित्यिक, औद्योगिक, प्रमुख शिक्षा एवं चिकित्सा जगत के संस्थान, खेल-खिलाड़ियों आदि का विस्तृत इतिहास संकलित है।
इतिहासकार डॉ. विघ्नेश कुमार के अनुसार, महाभारत के रचयिता वेदव्यास को मेरठ के पहले इतिहासकार के रूप में स्मरणीय रखना चाहिए, क्योंकि महाभारत का केंद्र हस्तिनापुर मेरठ में ही स्थित है। रामायण ग्रंथ में जिस मय दानव का उल्लेख आता है, उसी मय दानव ने मयराष्ट्र की स्थापना की थी, जिसकी पुत्री मंदोदरी रावण की पटरानी बनी।
डॉ. रामगोपाल भारतीय ने कहा कि प्रस्तुत ग्रंथ को श्रीमद्भगवत गीता के बराबर ही 18 अध्यायों में विभक्त किया गया है। इसी क्रम में आज हम सब मेरठ का इतिहास नामक इस ग्रंथ के साक्षी बन रहे हैं, जिसके सम्पादक कलमपुत्र पत्रिका के सम्पादक चरण सिंह स्वामी हैं। जो पिछले 24वर्षों से मेरठ के सामाजिक और साहित्यिक परिवेश के चरित्र से भलीभांति परिचित हैं तथा अब तक 200 से भी अधिक साहित्यिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों का संयोजन व संचालन कर चुके हैं।
चरण सिंह स्वामी ने बताया कि इस महाविशेषांक को शिक्षासेवी एवं समाजसेवी उद्योगपति दयानंद गुप्ताएवं पीडी मित्तल को समर्पित किया गया है। कलमपुत्र पत्रिका के इस विशेषांक के संरक्षक मंडल में योगेश मोहन गुप्ता, अतुल कृष्ण, कुंवर विजेंद्र शेखर, आरसी गुप्ता, दिनेशचंद्र जैन, नीरज मित्तल, अजीत कुमार, देशपाल गुर्जर, ठाकुर समीर चौहान, डॉ. ओप. अग्रवाल, डॉ. ओमपाल सिंह, डॉ. आरके भटनागर, महेश गुप्ता, सुधीर गुप्ता, आशीष गुप्ता, अनंगपाल सिंह, कृष्ण कुमार चोपड़ा, जयवीर सिंह डोयला शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रो. एनसी लोहनी, कवि सौरभ जैन सुमन, मयंक अग्रवाल, सुशील कृष्ण गुप्ता, महेश शर्मा, नरेंद्र गर्ग, डॉ. सुबोध गर्ग, ओडी शर्मा, ओमप्रकाश रतूड़ी, बीनू सिंह, दीवान गिरि, दिनेश तलवार, अनिता सिंह, रेखा वाधवा, अजय स्वामी, केपी स्वामी, विनोद स्वामी, सुगम सिंह धामा आदि उपस्थित रहे।