औरैया, 12 फरवरी (हि. स.)। जनपद के पुराने अछल्दा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन महेशचंद्र पांडेय महाराज ने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने किसी देवता का भी कभी अभिमान रहने नहीं दिया। उन्होंने इंद्र के अभिमान को चूर चूर कर ब्रज वासियों को इंद्र द्वारा की गई प्रलय से बचाया गया। आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र की पूजा का विरोध करते हुए ब्रज वासियों से गोवर्धन की पूजा कराई जिससे इंद्र क्रोधित हो गए ।और उन्होंने उन्होंने कहा कि इंद्र के अपमान का फल ब्रज वासियों को भोगना पड़ेगा।
इंद्र ने बड़े-बड़े मेघों से प्रलय कर ब्रज मंडल को नष्ट करने का आदेश दिया जिस पर ब्रज मंडल में हाहाकार मचने लगा जिस पर बृजवासी भगवान गोविंद की शरण में पहुंचे जिस पर भगवान ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठका उंगली पर उठा लिया और ब्रज ब्रजवासियों की भूख प्यास हरने के साथ 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत उठाए रखा और उसी के अंदर समस्त बृजवासी व पशु पक्षी आराम से सुरक्षित बने रहे।
आचार्य ने कहा कि भगवान पर विश्वास करने वाले का कभी कुछ बिगड़ता नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा स्वर्ग के अमृत से भी श्रेष्ठ है और इसके श्रवण मात्र से मानव को पापों से छुटकारा मिल जाता है। कथा के विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर सभी भक्तगण मौजूद रहे।