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संकष्टी गणेश चतुर्थी : लोहटिया बड़ागणेश दरबार में व्रती महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी

वाराणसी, 29 जनवरी (हि.स.)। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी गणेश चौथ (संकष्टी चतुर्थी) पर सोमवार को काशीपुराधिपति की नगरी भगवान गणेश के आराधना में लीन है। पर्व पर शहर के प्रमुख गणेश मंदिरों में सुबह से ही व्रती महिलाएं परिजनों के साथ दर्शन पूजन के लिए उमड़ रही है।

लोहटिया स्थित बड़ागणेश दरबार में दर्शन पूजन के लिए व्रती महिलाओं की भारी भीड़ तड़के से ही पहुंच रही है। मंदिर में दर्शन पूजन के लिए कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल तक श्रद्धालु महिलाएं कतारबद्ध है। दरबार में जय गणेश के जयकारे के साथ हर-हर महादेव का जयघोष भी गूंज रहा है। मंदिर के महंत के अनुसार माघ माह के गणेश चौथ पर महिलाएं पुत्र की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए निराजल व्रत रखती है। मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में बड़ा गणेश के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराकर नूतन वस्त्र पहनाया गया। भोग,आरती के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए तथा अपराह्न में बाबा का विशेष श्रृंगार कर आरती की गई। जिसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही जो देर रात तक चलेगी। अर्धरात्रि में बड़ागणेश का महाआरती की जायेगी। गणेश चौथ पर ही दुर्गाकुण्ड स्थित काशी खंडोक्त श्रीदुर्ग विनायक गणेश मंदिर में भी महिलाओं की भीड़ दर्शन् पूजन के लिए कतारबद्ध है। दरबार में ब्राह्मणों ने गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ किया। तथा दूर्वा से गणेश सहस्त्रार्चन किया । भगवान का अपराह्न एक बजे विविध प्रकार के फलों एवं मोदक का भोग लगाया गया।

इसके पहले संकष्टी गणेश चतुर्थी पर महिलाओं ने पुत्र की मंगलकामना,दीर्घ जीवन के लिए निराजल व्रत रखा। भोर में महिलाओं ने पानी पीकर व्रत की शुरुआत की। दिन भर निर्जल रहीं। शाम को घरों में नये वस्त्र धारण कर विधि विधान से भगवान गणपति की पूजा की गई। धूप, दीप, नैवेद्य,मौसमी फल अर्पित किया गया। चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। मान्यता है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी पर गौरी पुत्र भगवान गणेश, संकठा माता और चंद्रदेव की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। मान्यता है कि इस दिन गणेशजी और चंद्रदेव की पूजा करने से संतान के दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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