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सफल शोध के लिए जरुरी है सामान्यनीकरण के साथ उपयोगिता : डॉ. प्रियम शुक्ला

कानपुर, 21 फरवरी (हि.स.)। छात्रों को शोध के क्षेत्र में अनुमान के बजाय शुद्धता पर अधिक ध्यान देना चाहिए और जल्दबाजी की सफलता पर ध्यान न देते हुए निरंतरशीलता पर अधिक ध्यान देना चाहिए। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शोध सिर्फ लिखित दस्तावेज नहीं है बल्कि शोध एक व्यवस्थित, वस्तुनिष्ठ और तार्किक प्रक्रिया है। एक वास्तविक शोध तभी सफल होगा जब उसमे सामान्यनीकरण के साथ–साथ उपयोगिता भी होगी। यह बातें बुधवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में डा. प्रियंका शुक्ला ने कही।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स ह्यूमैनिटीज एंड सोसल साइंसेस में ‘सामाजिक विज्ञान के लिए कृत्रिम मेधा’ विषय पर चल रही सात दिवसीय कार्यशाला के आज तीसरे दिन बुधवार को दो सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता डॉ प्रियंका शुक्ला ने छात्रों से गणनात्मक शोध पर बात की। जबकि कार्यशाला के द्वितीय सत्र में ‘मैक्स प्रो. ए आई’ के सत्येन श्रीवास्तव ने छात्रों से ‘कृत्रिम मेधा और उसके प्रभाव’ के विषय पर बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई) कम से कम संसाधनों का उपयोग करते हुए कम समय में हमें बेहतर परिणाम देता है। आज के वर्तमान समय में ए आई किस तरह से हमारे व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन को प्रभावित करने के साथ–साथ हमारे व्यवसायिक जीवन में आने वाली प्रतिस्पर्धाओं के प्रति हमारी कार्यक्षमता को बढ़ाने में सक्षम है।

इसके साथ हमें यह ध्यान रखना होगा कि ए आई सिर्फ हमारी सहायता के लिए है न की हमारी प्रतिस्थापना करके स्वयं को स्थापित कर लें। और अंत में उन्होंने ए आई साक्षरता पर बात करते हुए कहा कि ए आई सिर्फ मानव हित के लिए होनी चाहिए ना कि मानव के अहित के लिए। ए आई सिर्फ मानव जीवन की कार्यशैली को सरल बनाने के लिए है न कि मानव जीवन पर प्रभावी होने के लिए। साथ ही साथ व्यवहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से छात्र छात्राओं को ए आई टूल्स से अवगत कराया। तत्पश्चात छात्र छात्राओं ने स्वयं कक्षा में ए आई टूल्स का प्रयोग करके खुद को अवगत कराया।

कार्यशाला के अंतिम चरण में छात्रों एवम शोधार्थियों ने कृत्रिम मेधा और उसके प्रभाव से जुड़े सवालों को पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यशाला के अंतिम पड़ाव में ब्रह्त संस्था के अमृतांशु पांडेय ने ए आई टूल्स के विषय पर चर्चा कर छात्र छात्राओं को जागरूक किया। कार्यशाला की समन्यवक डॉ अंशु सिंह, बृहत शिक्षा संस्थान के अमृतांशु पांडेय, विभाग के अन्य संकाय सदस्यों के साथ छात्र व शोधार्थी ऑनलाइन एवम ऑफलाइन माध्यम से सम्मिलित हुए।

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