प्रयागराज, 03 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव को नियम विरुद्ध एसोसिएशन के बैंक खाते का संचालन करने से रोकने की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई पांच फरवरी को होगी। याचिका में एसोसिएशन के बैंक खाते के संचालन में अध्यक्ष व महासचिव को कोषाध्यक्ष का सहयोग करने का भी समादेश जारी करने की मांग की गई है।
बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्र की याचिका की सुनवाई पांच फरवरी को न्यायमूर्ति एस. डी. सिंह तथा न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ करेगी। याची अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के बाइलाज के नियम 20 व 28 में अध्यक्ष व महासचिव के सहयोग से बार एसोसिएशन के खाते के संचालन की जिम्मेदारी कोषाध्यक्ष को है और नियम 28 में साफ लिखा है कि गवर्निंग काउंसिल को बिना आम सभा की पूर्व अनुमति के साल में कुल 50 हजार रुपये से अधिक खर्च करने का अधिकार नहीं है। इस नियम का उल्लंघन कर अध्यक्ष व महासचिव ने मनमाने तौर पर लाखों रुपये के चेक हस्ताक्षरित कर बैंक को सुपुर्द कर दिया। जिस पर कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं कराये गये। यहां तक कि कोषाध्यक्ष को खाते व रजिस्टर की जांच करने से रोक दिया गया है। जिस पर याची ने बार व बैंक दोनों में आपत्ति की है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कोषाध्यक्ष का दायित्व है कि वह आय व्यय का लेखा तैयार कर तिमाही में बोर्ड पर सूचना दे और वार्षिक बजट तैयार कर गवर्निंग काउंसिल में रखे ताकि महासचिव वार्षिक आम सभा में बजट पेश कर सके। इसका पालन नहीं किया गया। याचिका में अध्यक्ष व महासचिव पर 49 लाख 93 हजार 450 रुपये व 49 लाख 96 हजार 750 रुपये का चेक बिना कोषाध्यक्ष का हस्ताक्षर लिए अवैध रूप से जारी करने का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि संयुक्त सचिव प्रेस ने कोषाध्यक्ष को बार से निकालने की विज्ञप्ति जारी की है। जबकि किसी सदस्य को जांच में दोषी पाये जाने पर सीक्रेट बैलेट से दो तिहाई वोट से प्रस्ताव पारित करके ही हटाया जा सकता है। इसमें नियम 51 का पालन नहीं किया गया है।