किसानों को कीट और नीलगाय से बहुत नुकसान होता है। नीलगाय और कीट हर साल हजारों हेक्टेयर फसल को बर्बाद करते हैं। हालाँकि, कई किसान कीटों और नीलगाय से फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह काफी महंगा है। ऐसे में छोटे किसान कीटनाशकों का खर्च नहीं उठा पाते। लेकिन छोटे किसान अब चिंतित नहीं हैं।
आज हम देसी तकनीकों पर चर्चा करेंगे जो किसानों को नीलगाय और कीटों से छुटकारा दिलाते हैं। दरअसल, रात में नीलगाय रोशनी को देखकर खेत में नहीं आती। इसलिए आप रात को खेत में बल्ब या दीपक जला सकते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई किसान खेतों में बल्ब और दीपक लगाकर फसलों को कीटों और नीलगाय से बचाते हैं।
किसानों को इससे बहुत लाभ हुआ है। रात को खेतों में बल्ब या दीपक जला कर भी नीलगाय को भगा सकते हैं। नीलगाय रोशनी देखकर खेतों में नहीं आएगी। इस तरह, आपकी फसल नीलगाय से बच जाएगी। किसानों का कहना है कि रात को खेत में रोशनी करने से नीलगाय को लगता है कि वहाँ कोई आदमी बैठा है। इसलिए वे खेतों में नहीं जाते।
नीलगाय इसलिए खेतों में नहीं आती
किसानों का कहना है कि खेत में दीपक जलाने से कीट-पतंग की संख्या भी कम होती है। दीपक की रोशनी से आकर्षित होकर कीट आग की लौ में जलकर मर जाते हैं। खेत में दीपक जलाने से नीलगाय और कीटों को बचाया जा सकता है। किसान चाहें तो घरेलू दवा बनाकर भी फसल को कीटों और नीलगाय से बच सकते हैं।
यह करने के लिए किसान पांच लीटर गोमूत्र में एक किलो नीलगाय का गोबर, ढाई किलो नीम की पत्ती, ढाई किलो बकाईन की पत्ती, एक किलो धतूरा, एक किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम पत्ता सुर्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज और 250 ग्राम लहसुन मिलाएं। इसके बाद इसे 25 दिनों तक जमीन में प्रिजर्व कर दें।
इस तरह बनाएं दवाई
खास बात यह है कि मिट्टी के पात्र का मुंह पूरी तरह से बंद कर दें, ताकि हवा इसमें नहीं आ सकती। उस पात्र का 1.3 प्रतिशत भी खाली रहना चाहिए। क्योंकि फ्रेगमेंटेशन के बाद कार्बनिक गैस बनने से बर्तन भी फट सकता है। वहीं, बीस दिन के बाद, मिट्टी का मुंह खोलकर मिश्रण को दूसरे बर्तन में स्थानांतरित कर दें।
25 दिन सड़ने के बाद यह मिश्रण एक जैवी औषधि बन जाएगा जिसका गंध होगा। 50 प्रतिशत दवा को 100 लीटर पानी में मिलाकर डालें। फिर 250 ग्राम सर्फ प्रति बीघा डाल दें। आपके खेत में इसकी गंध से कोई जानवर नहीं आएगा।