प्रयागराज, 30 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान द्वारा महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर मंगलवार को मुख्य अतिथि डीन सीडीसी, इविवि प्रो. पंकज कुमार ने कहा कि इस समय गांधी पर बात करना बेहद जरूरी है। गांधी को गांधी बनाने में चम्पारण आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान है। गांधी के आदर्शों को उतना ही जिएं जितना अनुपालन कर सकें। गांधी आचरण में कम हैं वक्तव्यों में बहुत ज्यादा हैं। हमारी अंतरात्मा के जीवित रहने पर ही गांधी जिंदा रहेंगे।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवं प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. पीके साहू ने कहा कि बापू को समझना है तो आत्ममंथन करना होगा। पहले बापू की शहादत पर सायरन बजता था। 11 बजे जो जहां होता था वहां खड़े होकर सांत्वना देता था। ग्राम स्वराज को समझने की जरूरत है। विकास की जो परिभाषा समाजशास्त्री देते हैं, बापू उसके विपरीत थे। बापू ग्लोबलाइजेशन में विश्वास नहीं करते थे। अपने देश अपनी मिट्टी में विश्वास करते थे। ग्राम साम्राज्य की रचना में आत्म शक्ति, आत्मज्ञान शामिल है। नव उदारवाद के दौर में पूंजीवादी शोषण और बढ़ा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. संजय सक्सेना ने कहा कि गांधी ने सत्य के प्रयोग किये। उन्होंने साम्राज्यवाद से मोर्चा लिया। गांधी होना बहुत मुश्किल काम है। उसके लिए अपार साहस की जरूरत है। वे कहते थे कि मेरा जीवन ही मेरा विचार है। इस वाक्य के गहरे निहितार्थ हैं, युवा पीढ़ी को उसे समझने की जरूरत है। उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो. शबनम हमीद ने कहा बापू की कुर्बानियां आज के दिन हमें अपने अंदर उतारने की जरूरत है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्थान के निदेशक प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि गांधी से ज्यादा संवाद करने वाला व्यक्ति इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं हुआ। गांधी को जब तक आप व्यवहार में नहीं उतारेंगे तब तक कुछ बदलेगा नहीं। गांधी की शहादत के असल मायनों पर बात होनी चाहिए। आज के संकटों को गांधी ने कैसे सम्बोधित किया, इस पर गौर किया जाना चाहिए। गांधी के जीवन, विचार और उनके रचनात्मक कार्यक्रमों पर केंद्रित ’गांधी सप्ताह’ इसी की पड़ताल करेगा।
विशेष व्याख्यान के बाद बरगद कलामंच ने कबीर गायन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ तोशी आनंद ने किया। गांधी सप्ताह के अंतर्गत कल बुधवार को पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से इविवि और संगठन महाविद्यालय के शिक्षक डॉ आशुतोष पार्थेश्वर, डॉ ऋतम्भरा, डॉ निरुपमा त्रिपाठी, डॉ अमृता, डॉ अखिलेश पाल, डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ रंजीत सिंह, डॉ सुरेन्द्र कुमार, डॉ जया सिंह सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद रहे।