लखनऊ, 01 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुरुवार को राजभवन में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा पहली बार नैक ग्रेडिंग के लिए की जा रही तैयारियों के प्रस्तुतिकरण की समीक्षा की।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.बी. सिंह ने राज्यपाल को बताया कि अपेक्षित तैयारियों के साथ विश्वविद्यालय इस माह फरवरी के अंतिम सप्ताह तक नैक के लिए इंस्टीट्यूशनल इन्फॉर्मेशन फॉर क्वालिटी एसेसमेंट दाखिल कर सकता है, जो कि एसएसआर दाखिल करने से पूर्व की प्रक्रिया है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रस्तुतिकरण का बिंदुवार अवलोकन करते हुए कहा कि किसी भी क्राइटेरिया में प्रमाण के लिए संलग्न फोटोग्राफ की पुनरावृत्ति न करें। उन्होंने कहा कि फोटो में प्रदर्शित गतिविधि का स्पष्ट विवरण कैप्शन में लिखें। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किए गए पेटेन्ट की फोटो लगाने और पेटेंट के उपयोग को भी विवरण में प्रदर्शित करने को कहा। इसी क्रम में राज्यपाल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एमओयू की जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि एमओयू हस्ताक्षर करते हुए और बाद में उन पर हुई गतिविधियों को प्रमाण और फोटो के साथ विवरण में दर्शाएं।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को नैक की उपयोगिता बताकर उन्हें भी दायित्व प्रदान करें, शिक्षक विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों से सम्पर्क और तारतम्य रखें उनकी समस्याओं, आवश्यकताओं और सुझावों को भी सुनें।
विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण और स्लम एरिया के शिक्षा से दूर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए चलाई जा रही ‘बाल पाठशाला‘ की राज्यपाल ने सराहना की। उन्होंने कहा कि पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के अभिभावकों तथा उसके गांव के प्रधानों का वर्जन भी प्रस्तुतिकरण के विवरण में अंकित करें। उन्होंने बाल पाठशाला के बच्चों को राजभवन भ्रमण कराने के लिए भी कहा।
आज सम्पन्न समीक्षा बैठक में विशेष कार्याधिकारी शिक्षा, विश्वविद्यालय की नैक टीम के सभी सदस्य तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।