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यूपी लिफ्ट एक्ट पारित, अब हादसों पर हर्जाने के साथ ही तय होगी जिम्मेदारी

लखनऊ, 10 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में लिफ्ट और एस्केलेटर के कारण बढ़ते हादसों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। इस पहल के तहत शनिवार को विधान मंडल के दोनों सदनों में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित हो गया।

इस बिल में लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं।

सभी निजी और सार्वजनिक भवन व परिसर आएंगे दायरे में

प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इस अधिनियम के नियम व शर्तों की जानकारी देते हुए सदन को बताया कि इस अधिनियम के दायरे में प्रदेश के सभी निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के भवनों व परिसरों को लाया गया है। निजी उपयोग में लगवाई गई लिफ्ट में इस अधिनियम की कुछ शर्तों में से ढील दी गई है, लेकिन सार्वजनिक उपयोग में लगाई गई लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं। कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत औद्योगिक एरिया या परिसर में लगी लिफ्ट य एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें लागू नहीं होगी, बाकी प्रदेश की सभी निजी व सार्वजनिक भवनों व परिसरों पर लगी लिफ्ट एवं एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें अनिवार्य रूप से प्रभावी होगी।

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