प्रयागराज, 16 फरवरी (हि.स.)। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) प्रौद्योगिकी और समाज के भविष्य को एक नया आकार देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने वाला क्षेत्र है, जो अपार सम्भावनाएं रखता है।
उक्त विचार डीआरडीओ, पुणे के वैज्ञानिक आलोक मुखर्जी ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) इलाहाबाद में सेंटर ऑफ इंटेलिजेंट रोबोटिक्स (सीआईआर) द्वारा आयोजित ‘जेनरेटिव एआई और ह्यूमन रोबोट इंटरेक्शन’ पर तीन दिवसीय चौथी अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया।
झलवा परिसर में शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि इसमें सक्षम बुद्धिमान प्रणालियों जैसी आभासी दुनिया में सामग्री उत्पन्न करने की व्यापक सम्भावनाएं हैं। मानव रचनात्मकता की नकल करने और विस्तार करने की क्षमता के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विभिन्न उद्योगों में क्रांति ला रहा है और नवाचार के लिए नई सम्भावनाएं खोल रहा है।
सेंटर ऑफ़ इंटेलीजेंट रोबोटिक्स (सीआईआर) के प्रमुख प्रो. जी.सी नंदी ने कहा कि एआई के पीछे मुख्य विचार मशीनों को डेटा में पैटर्न को समझने और दोहराने के लिए सिखाना है ताकि वे कुछ नया बना सकें। इसमें विभिन्न तकनीकों जैसे गहन शिक्षण, तंत्रिका नेटवर्क और सुदृढ़ीकरण शिक्षण का उपयोग शामिल है। एआई मॉडल को विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है और वे चित्र, संगीत, पाठ और यहां तक कि संपूर्ण आभासी वातावरण जैसी सामग्री उत्पन्न करना सीखते हैं।
उन्होंने कहा कि रोबोटिक्स केंद्र द्वारा वैश्विक दुनिया में संस्थान के ब्रांड को स्थापित करने में निभाई गई पुरा छात्रो की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें 17 फरवरी को प्रतिष्ठित पुरा छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। ये पुरस्कार डॉ. अभिमन्यु लाड, सुदीप्ति गुप्ता, प्रत्यूस पटनायक, भास्कर गुप्ता, डॉ. आलोक पार्लिकर, डॉ. समीर मेनन को दिए जाएंगे।
आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर अनिर्बान गुहा ने कहा कि गहन शिक्षण और तंत्रिका नेटवर्क एआई की रीढ़ हैं। ये प्रौद्योगिकियां मशीनों को जटिल पैटर्न सीखने और पदानुक्रमित तरीके से डेटा का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देती हैं। डीप जेनरेटर मॉडल प्रशिक्षण डेटा में मौजूद जटिल विवरण और बारीकियों को कैप्चर करके उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उत्पन्न कर सकते हैं।
समारोह में ट्रिपल आईटी के प्रभारी निदेशक प्रो. ओपी व्यास ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल, दवा की खोज, चिकित्सा इमेजिंग और व्यक्तिगत चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का काफी उपयोग हो सकता है। उन्नत छवि विश्लेषण के माध्यम से प्रारम्भिक बीमारी का पता लगाने में सहायता कर सकता है और यहां तक कि सर्जिकल योजना के लिए आभासी अंग मॉडल का अनुकरण भी कर सकता है।
प्रोफेसर वृजेंद्र सिंह ने कार्यशाला में शामिल सभी लोगों के योगदान को सराहते हुए एआई और मानव रोबोट इंटरैक्शन के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में निरंतर सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। जर्मनी के बीलेफेल्ड विश्वविद्यालय के डॉ. एंड्रयू मेलनिक ने कहा कि एआई को कला, संगीत और डिजाइन जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में एक प्राकृतिक घर मिल गया है। यह नए विचार उत्पन्न करके, संगीत तैयार करके और दृश्यात्मक रूप से आश्चर्यजनक कलाकृति बनाकर कलाकारों की सहायता कर सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सूर्य प्रकाश ने किया।