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इविवि के तीन प्रोफेसर्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द

प्र्रयागराज, 23 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद के तीन सेवानिवृत्त प्रोफेसर्स को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने तीनों प्रोफेसर्स के खिलाफ कर्नलगंज थाने में आठ वर्ष पूर्व दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया। शिकायत करने वाली महिला सहायक प्रोफेसर दीप शिखा सोनकर पर हर्जाना लगाते हुए तीनों प्रोफेसर्स को पांच-पांच लाख रूपये देने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने प्रो. मनमोहन कृष्णा, प्रो. प्रहलाद कुमार और प्रो. जावेद अख्तर की ओर से आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत लिए गए बयानों से आरोपियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। लिहाजा, कोर्ट यदि इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है और सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं करता है, तो वह अपने कर्तव्य में विफल हो जाएगा।

मामले में तीनों प्रोफेसर्स पर विभाग की सहायक प्रोफेसर ने आरोप लगाए थे कि 04 अगस्त, 2016 की दोपहर उन्हें तत्कालीन विभागाध्यक्ष (मनमोहन कृष्णा) द्वारा अपने कक्ष में बुलाया गया और जब वह गई तो विभागाध्यक्ष के साथ प्रोफेसर प्रह्लाद और प्रोफेसर जावेद अख्तर बैठे थे। तीनों ने उसे घूरते हुए उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। उसे डांटा, एक घंटे तक खड़ा रखा और घूरते रहे तथा बीच-बीच में गंदे शब्दों का भी प्रयोग किया। महिला सहायक प्रोफेसर ने तीनों प्रोफेसर्स के खिलाफ कई बार शिकायत की लेकिन उसकी सुनी नहीं गई। याचियों की ओर से कहा गया कि शिकायतकर्ता ने उन्हें जान बूझकर फंसाया है। क्योंकि, विभागाध्यक्षों की ओर से उनके (शिकायतकर्ता) शैक्षिक कार्यों की दी गई रिपोर्ट पर संतुष्टी नहीं जताई थी।

विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर जांच भी की लेकिन उसमें कोई सत्यता नहीं पाई। याचियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा दूसरे मामलों में दिए गए आदेशों का हवाला भी दिया। ट्रायल कोर्ट ने मामले का सीधे संज्ञान लिया। जबकि, मजिस्ट्रेट द्वारा सौंपे जाने के बाद उसे संज्ञान लेना चाहिए था। कोर्ट की प्रक्रियाओं का पालन भी नहीं किया गया। हालांकि, सरकारी अधिवक्ता ने विरोध किया लेकिन कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तीनों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

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