नई दिल्ली (ईएमएस)। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा एनडीए का कुनबा बढ़ाने में जुटी हुई है। इस बीच ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी भी भाजपा के एनडीए गठबंधन में शामिल हो सकती हैं। कहा जा रहा है कि एनडीए गठबंधन के 400 से ज्यादा सीटों पर जीत के टारगेट को हासिल करने के लिए भाजपा यह गठबंधन कर रही है। लेकिन सवाल जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है, वह यह है कि आखिर नवीन भाजपा के साथ जाने के लिए क्यों आतुर हैं। वह भी तब जब दो दशक से ज्यादा समय से वह ओडिशा के सीएम बने हुए हैं, इतना ही नहीं लोकसभा में भी वह राज्य में सबसे ज्यादा सीटें जीतते रहे हैं।
बीजेडी के कुछ सीनियर नेताओं का कहना है कि 15 साल बाद भाजपा संग आने की एक वजह यह है कि नवीन अपने उत्तराधिकार के प्लान पर काम कर रहे हैं। इसकारण वे व्यवहारिक फैसला ले रहे हैं और सुरक्षित राजनीति करना चाहते हैं। नवीन भले ही लगातार बीजेडी के एकछत्र नेता बने हुए हैं, लेकिन अब उनकी बढ़ती उम्र के कारण उत्तराधिकार प्लान की भी चर्चाएं हैं। इस कारण से बीजेडी में आंतरिक कलह की स्थिति पैदा हो गई है। पिछले कुछ समय में बीजेडी के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं। इन नेताओं में अरविंद धाली, प्रदीप पाणिग्रही, प्रशांत जगदेव, देबाशीष नायक शामिल हैं। दरअसल नवीन कई सांसदों और विधायकों के टिकट भी काटने की योजना में हैं। वे नए चेहरों को शामिल करना चाहते हैं। इसके चलते नेताओं में बेचैनी है। दरअसल नवीन की पार्टी में चर्चा है कि वह केवी पांडियान को अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं, जो एक नौकरशाह थे। फिलहाल वे सीएम की ओर से पूरे प्रदेश में दौरे कर रहे हैं और अहम फैसले ले रहे हैं।
वहीं पार्टी में पलायन को रोकने के लिए नवीन की रणनीति है कि भाजपा को ही साथ ले लिया जाए। फिर बागी नेता आखिर कहां जाएंगे। इस फैसले से वे पार्टी में स्थिरता ला सकते है। इसके अलावा केंद्र सरकार से भी संबंध अच्छे बने रह सकते है। इसके अलावा बदले में नवीन पटनायक की पार्टी भी केंद्र की सत्ता में कोई साझेदारी नहीं मांगेगी।