Divorce Rules: विवाहित जीवन (Married Life) में कभी-कभी ऐसी स्थितियां आ जाती हैं, जब अलग होना ही एकमात्र उपाय बचता है। ऐसे में तलाक (Divorce) की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम बन जाती है। तलाक की प्रक्रिया में विभिन्न समय-सीमा (Time Limit) और नियम (Rules) होते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ये समय-सीमा क्या है और कितने समय के बाद कानूनी रूप से तलाक संभव है।
एक तरफा और आपसी सहमति से तलाक
तलाक की प्रक्रिया में दो प्रमुख स्थितियां होती हैं। एक, जब दोनों पति-पत्नी (Husband-Wife) आपसी सहमति से अलग होने का फैसला करते हैं और दूसरी, जब पति या पत्नी में से कोई एक तलाक की अर्जी (Petition) दाखिल करता है। इन दोनों स्थितियों में तलाक के लिए अलग-अलग नियम और प्रक्रियाएं होती हैं।
तलाक के लिए समय-सीमा
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील प्रेम जोशी (Advocate Prem Joshi) के अनुसार, कंटेस्टेड डाइवोर्स (Contested Divorce) के मामले में, शादी के एक दिन बाद भी तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है, इसमें कोई समय-सीमा नहीं होती।
वहीं, म्यूचुअल तलाक (Mutual Divorce) के लिए शादी को एक साल का समय होना जरूरी है। शादी के एक साल बाद ही म्यूचुअल तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है, जिसमें अदालत (Court) छह महीने का समय सुलह (Reconciliation) के लिए देती है।
अदालत का निर्णय और स्थितियां
हालांकि, अदालत विशेष परिस्थितियों (Special Circumstances) में तलाक के लिए समय-सीमा को छोटा कर सकती है। अदालत दंपति की परिस्थितियों को देखकर फैसला ले सकती है और यह निर्णय उनकी स्थिति के आधार पर किया जाता है।
तलाक की प्रक्रिया और समझदारी
तलाक लेने से पहले दंपति को अपने फैसले पर गहराई से विचार (Thoughtful Consideration) करना चाहिए और अदालती प्रक्रिया (Judicial Process) को समझना चाहिए। अंततः, तलाक एक कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) है जिसे समझदारी और संवेदनशीलता (Sensitivity) के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।