हाईकोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया कि हमें कर्मचारियों को नियमित करने को लेकर जवाब चाहिए। हाईकोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह की मोहलत देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि कर्मचारी दो-दो दशक की सेवा देने के बावजूद बिना नियमित हुए मर जाते हैं।
पदों की कमी का हवाला देकर उन्हें नियमित नहीं किया जाता है ऐसे में सरकार कर्मियों को लेकर जवाब सौंपा। सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया कि संविदा कर्मचारियों को लिए अलग कैडर बनाने पर विचार किया जा रहा है। अलग कैडर बनाकर इनकी सेवाओं को गेस्ट टीचर्स की तर्ज पर 58 की उम्र तक के लिए सुरक्षित कर दिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान 23 नवंबर को सरकार द्वारा जारी पत्र हाईकोर्ट में पेश किया गया। पत्र के अनुसार जहां भी प्रशासनिक विभाग/बोर्ड/निगम/स्वायत्त इकाइयां नियमितीकरण नीतियों के तहत व्यक्तियों को कैडर में नियुक्ति के लिए नाम प्रस्तावित करती हैं, वहां पर प्रशासनिक विभाग व वित्त विभाग की मंजूरी के साथ कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए पद सृजित कर सकेंगे।
वहीं वित्त विभाग को सलाह दी गई है कि जब भी कोई विभाग/बोर्ड/निगम/स्वायत्त इकाई किसी भी कर्मचारी के लिए पद बनाने के लिए मामला प्रस्तुत करता है तो कैडर के पदों के निर्माण के लिए सहमति दे। हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब पर कहा कि हमने कर्मियों को नियमित करने पर जवाब मांगा था, कैडर नीति को लेकर नहीं। प्रदेश में 2007 से कढ़ाई और सुई कार्य प्रशिक्षक के रूप में सेवारत कुछ महिला संविदा कर्मचारियों ने उन्हें नियमित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
इस मामले में हाईकोर्ट ने एजी को तलब करते हुए कहा था कि वे कर्मियों को नियमित करने के मामले में अदालत की सहायता करेंगे। विशेष रूप से उन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जहां लोग जीवन के 20 साल सेवा दी और नियमित होने के इंतजार में मर गए