Wednesday , 4 December 2024

ISRO के वैज्ञानिको को एक महीने की कितनी मिलती है सैलरी, सच्चाई जानकर तो आपको भी नही होगा यकीन

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चांद (Moon) की सतह पर सफलतापूर्वक उतारकर न केवल भारतीय विज्ञान (Indian Science) की, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा ऊंची कर ली है।

खासकर, उस हिस्से में उतरकर जहां आज तक किसी ने कदम नहीं रखा था। इस ऐतिहासिक घटना ने इंटरनेट (Internet) पर इसरो के वैज्ञानिकों के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ा दी है।

इसरो वैज्ञानिकों की सैलरी एक अवलोकन

इसरो में कार्यरत वैज्ञानिकों (Scientists) और इंजीनियरों (Engineers) की सैलरी कई स्तरों पर निर्धारित होती है। इसरो में अगर कोई बतौर इंजीनियर ज्वॉइन करता है तो उसे शुरुआती सैलरी लगभग 37,400 से 67,000 तक होती है।

वहीं, अगर कोई इसरो में सीनियर साइंटिस्ट (Senior Scientist) के पद पर भर्ती होता है तो उसकी शुरुआती सैलरी लगभग 75,000 से 80,000 के बीच होती है। यह सैलरी बेसिक पे (Basic Pay) होती है और इसमें विभिन्न भत्ते (Allowances) शामिल नहीं होते।

इसरो वैज्ञानिकों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं

इसरो के वैज्ञानिकों को सैलरी के अलावा विभिन्न प्रकार की अन्य सुविधाएं (Facilities) भी मिलती हैं, जैसे कि आवास (Housing), परिवहन (Transportation), सुरक्षा (Security) आदि।

ये सुविधाएं निजी क्षेत्र की नौकरियों और यहां तक कि कई सामान्य सरकारी नौकरियों में भी उपलब्ध नहीं होतीं। चूंकि इसरो केंद्र सरकार (Central Government) के अधीन काम करता है, इसलिए वैज्ञानिकों की सैलरी समय पर मिल जाती है।

इसरो में सबसे अधिक सैलरी वाले पद

इसरो में कुछ पद ऐसे हैं जहां नौकरी करने वालों को सबसे अधिक सैलरी (Highest Salary) मिलती है। ये सैलरी यहां तक कि आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) की सैलरी से भी अधिक हो सकती है।

उदाहरण के लिए, डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट की सैलरी लगभग 2,05,400, आउटस्‍टैंडिंग साइंटिस्‍ट की 1,82,200, साइंटिस्ट/इंजीनियर- एच की 1,44,200, साइंटिस्ट/इंजीनियर- एसजी की 1,31,100 और साइंटिस्ट/इंजीनियर- एसएफ की 1,18,500 होती है।

इसरो वैज्ञानिकों का योगदान और प्रोत्साहन

इसरो के वैज्ञानिकों की सैलरी और अन्य सुविधाएं उनके द्वारा किए गए योगदान (Contribution) और महत्वपूर्ण कार्य को प्रोत्साहित (Encourage) करती हैं। चंद्रयान-3 जैसे मिशनों की सफलता न केवल भारतीय विज्ञान के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मील का पत्थर साबित होती है।

इसरो के वैज्ञानिक न केवल भारत का गौरव बढ़ाते हैं, बल्कि विश्व अन्तरिक्ष विज्ञान (World Space Science) में भी भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका स्थापित करते हैं।

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